ये कौन हैं ख्याल जो मेज़बान हो गए,
क्यों अपने ही घर में हम मेहमान हो गए.
मैं देखूँ मेरे जिस्म के बँटते हुए टुकड़े,
कब मज़ार बने कब महफ़िल कब दुकान हो गए.
ये कैसी है सलीब, उठाये हर कंधा है जिसे,
ये कब खुदा बने, कब मसीहा, कब शैतान हो गए.
ये हक इश्क का सांझा, ये प्रीत तुझसे क्यों मेरी,
अदब तेरा, हुनर तेरा, क्यों मेरे गुमान हो गए.
अभी तो रूह जलती है, अभी तो मौत बाकी है,
कि इस महफ़िल में साकी, सभी अन्जान हो गए.
मोहब्बत मेरी ‘मिराज’, राख, कच्चा कोयला,
पाक माहताब पर दाग खुदाई के निशान हो गए.
Thursday, September 29, 2011
Tuesday, September 27, 2011
ताल्लुक !
इस यतीम रात को मैं कौन सा एक नाम दूँ,
क्या राख़ में लपेट कर,
इस पाक, कोरे चाँद को,
रख दूँ तेरी याद की, गिरह में कहीं.
या सुर्ख इस लहु से मैं ,
इस ख्वाब के इश्तिहार पर,
चंद लफ्ज़ तेरी गुफ्तगू के, मुज्तरिब, उकेरून कोई.
या बर्फाब तेरी आवाज़ को,
इस दिल के सहराओं में,
हर कुतबे पर कर सजदा मैं, खामोशियाँ ढूंढूं कहीं.
या लम्स कोई तेरी याद का,
क़दीम वक़्त की गिरफ्त से,
हयात कर रुखसारों पर, मैं रोशन तुझे करूँ यहीं…
तुझे नाम मैं न दूं कोई…
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Mayfly.
Sun-kissed nights, run wild and sure mornings, shrouded in grey walk slow, noons burn high, and so do the hearts. like dawns I linger, lik...
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Sun-kissed nights, run wild and sure mornings, shrouded in grey walk slow, noons burn high, and so do the hearts. like dawns I linger, lik...
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Let’s write our destinies on the leaf of desire, Let’s bring back the dead from the burning pyre. Why smear some ash, some vermillion on the...